मोदी ने ट्रंप का न्योता ठुकराया: क्या ये अमेरिका को भारत का सख़्त संदेश था?
ट्रंप की बयानबाज़ी और भारत की प्रतिक्रिया
पिछले कुछ महीनों से डोनाल्ड ट्रंप के बयान भारत में काफी चर्चा का विषय रहे। कभी वो कहते कि उन्होंने कश्मीर मुद्दा सुलझा दिया, तो कभी पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का भरोसेमंद साथी बता देते। इन बयानों से भारतीय जनता और सरकार दोनों ही असहज महसूस कर रहे थे।
यही वजह थी कि जब ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया, तो भारत ने उसे सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के विक्रम मिश्री ने खुद सामने आकर कहा कि प्रधानमंत्री का शेड्यूल पहले से तय है, और इस समय अमेरिका जाना संभव नहीं है।
G7 समिट और फोन कॉल की कहानी
G7 समिट के दौरान ट्रंप ने कनाडा में मोदी से मुलाकात की कोशिश की थी। लेकिन खुद ही सम्मेलन को लेकर विवाद खड़ा कर दिया और आयोजकों पर घटिया टिप्पणियाँ करके जल्दी निकल गए। बाद में उन्होंने मोदी को फोन किया और वाशिंगटन आने का न्योता दिया। दोनों नेताओं के बीच 35 मिनट तक बातचीत हुई, लेकिन मोदी ने साफ मना कर दिया।
यह इनकार सिर्फ़ एक यात्रा न करने का फैसला नहीं था, बल्कि एक कड़ा कूटनीतिक संदेश भी था।
भारत की स्थिति और ट्रंप के झूठे दावे
ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी और मोदी की बातचीत हुई थी। लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया कि उस वक्त कोई संवाद नहीं हुआ था। केवल पुलवामा हमले के बाद ही दोनों नेताओं की बातचीत हुई थी।
भारत ने आतंकवादियों पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयरबेस को निष्क्रिय कर दिया था। इन कार्रवाइयों में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी, जैसा कि उन्होंने दावा किया। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है।
अमेरिका-पाकिस्तान समीकरण और भारत की नाराज़गी
डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान को लेकर रुख भी साफ दिखने लगा है। हाल ही में पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर अमेरिका दौरे पर गए, जहां उनके यूएस मिलिट्री परेड में शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन आख़िरी समय में वह इनविटेशन रद्द हो गया, हालांकि एक लंच का इंतज़ाम जरूर हुआ।
इससे साफ होता है कि अमेरिका की रणनीति में पाकिस्तान की भूमिका बढ़ सकती है — खासकर ईरान को लेकर अमेरिका की योजनाओं में।
क्या भारत-अमेरिका रिश्तों में दूरी आ रही है?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप की बयानबाज़ी और पाकिस्तान के प्रति उनके झुकाव से भारत-अमेरिका संबंधों में दरार आ रही है? वो रिश्ते जिन्हें ओबामा, बुश और बाइडन ने समय लेकर मज़बूत किया, क्या अब कमजोर हो रहे हैं?
G7 समिट में जब पीएम मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति माख्रों से मिले, तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में ट्रंप पर तंज भी कसा — “अब तो ट्विटर पे भी लड़ाई हो रही है!” माख्रों ने भी ट्रंप को उसी अंदाज़ में जवाब दिया।
ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय स्थिति भी अब कमजोर होती जा रही है। कई विश्व नेता उनसे असहमत दिखते हैं और अमेरिका की साख पहले जैसी नहीं रही।
मोदी द्वारा ट्रंप का न्योता ठुकराना सिर्फ़ एक शेड्यूल का मामला नहीं था, बल्कि भारत की ओर से एक सोच-समझकर लिया गया कूटनीतिक निर्णय था। यह फैसला दर्शाता है कि भारत अब किसी भी देश से रिश्तों में सम्मान और समानता की उम्मीद रखता है — चाहे सामने अमेरिका जैसा बड़ा देश ही क्यों न हो।
आपका क्या मानना है? क्या मोदी जी ने सही किया? नीचे कमेंट में बताएं।