ईरान-इज़राइल की लड़ाई में भारत फंसा! चाबहार पोर्ट पर मंडरा रहा है खतरा

"Explosion at Chabahar port with Netanyahu and Modi, highlighting India's $550 million investment risk during Iran-Israel conflict"

1. ईरान-इजराइल वॉर: सात दिन बाद हालात क्या हैं?

ईरान और इजराइल की लड़ाई को अब पूरे 7 दिन हो चुके हैं और सिचुएशन हर दिन और खराब होती जा रही है। यूएस अभी तक डायरेक्टली इस वॉर में कूद नहीं रहा है। ट्रंप वेट कर रहे हैं कि हो सकता है दो हफ्ते में कुछ सुलह हो जाए या सीजफायर हो जाए, लेकिन ग्राउंड पर ऐसा कोई सीन नहीं लग रहा।

इजराइल ने एक एनिमेटेड वीडियो में दिखाया कि उन्होंने अराक (ईरान) के न्यूक्लियर रिएक्टर को डिस्ट्रॉय कर दिया है। उनका कहना है कि ये रिएक्टर सिर्फ न्यूक्लियर बम बनाने के लिए था। वहीं, ईरान ने भी इजराइल के बड़े हॉस्पिटल पर मिसाइल अटैक किया है, जिससे काफी नुकसान हुआ।

2. ईरान में भूकंप और इजराइल के लगातार अटैक्स

ईरान में अचानक भूकंप की खबरें आ रही हैं, लेकिन किसी को समझ नहीं आ रहा कि इसका रीजन क्या है। दूसरी तरफ इजराइल का अटैक जारी है और ईरान का रिएक्शन भी। सीजफायर की कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि ईरान का मानना है कि अगर अभी सीजफायर हुआ तो इजराइल को अपनी मिलिट्री स्ट्रेंथ रीकवर करने का टाइम मिल जाएगा।

इजराइल का मिसाइल डिफेंस सिस्टम पहले 90% तक एफिशिएंट था, जो अब 65% तक गिर चुका है। ईरान का कहना है कि उन्होंने अब तक अपने सबसे पावरफुल वेपन्स यूज भी नहीं किए हैं।

3. भारत की टेंशन: इंडियन स्टूडेंट्स और चाबहार पोर्ट

भारत की चिंता दो हिस्सों में बंटी है — एक तो ईरान और इजराइल में फंसे भारतीयों को निकालना और दूसरा, चाबहार पोर्ट को बचाना। ऑपरेशन सिंधु के तहत स्टूडेंट्स को अर्मेनिया के रास्ते लाया गया, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स (खासकर कश्मीर के) ने शिकायत की कि उन्हें दिल्ली से आगे का कोई इंतजाम नहीं मिला।

सबसे बड़ा कंसर्न है चाबहार पोर्ट, जिसमें भारत ने करीब $550 मिलियन इन्वेस्ट किया है। अगर इसपर अटैक हुआ, तो सारी इन्वेस्टमेंट बर्बाद हो सकती है और पूरा कनेक्टिविटी प्लान रुक सकता है। भारत ने इजराइल से अपील भी की है कि हाइफा पोर्ट अटैक के बावजूद चाबहार को टारगेट ना करें।

4. रूस और बाकी दुनिया का रिएक्शन

रशिया ने इजराइल को वार्निंग दी है कि जो न्यूक्लियर प्लांट वो ईरान में बना रहे हैं, उन पर अटैक हुआ तो चर्नोबिल जैसा डिजास्टर हो सकता है। रशियन गवर्नमेंट ने पहले बातचीत की कोशिश की, फिर ओपनली कहा कि अगर ये प्लांट टारगेट हुए तो इसका असर पूरे एशिया पर पड़ेगा।

कई जियोपॉलिटिकल रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया कि अगर ईरान कमजोर हुआ, तो पाकिस्तान को फायदा मिलेगा। उसका रिजनल इंफ्लुएंस बढ़ सकता है।

5. इजराइल का असली मकसद क्या है?

इजराइल का ऑपरेशन “Rising Lion” सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर डिस्ट्रॉय करना नहीं है। उनका मकसद है कि ईरान की इस्लामिक गवर्नमेंट को हटाकर वहां एक प्रो-वेस्टर्न गवर्नमेंट लाना, जैसी शाह ऑफ ईरान के टाइम थी।

इजराइल ने जो वीडियो रिलीज़ की उसमें उन्होंने ईरान की गवर्नमेंट पर आरोप लगाए — जैसे मासा अमीनी की मौत, डेमोक्रेसी की कमी, वुमन राइट्स की वायलेशन वगैरह।

अब देखना ये है कि ईरान की आम जनता क्या सरकार के खिलाफ उठती है या नहीं। ट्रंप अभी वेट कर रहे हैं कि क्या इंटरनल डिस्टर्बेंस से कुछ बदलेगा या नहीं। अगर नहीं, तो यूएस शायद वॉर में कूदेगा ही नहीं।

6. क्या यह जंग भारत की स्ट्रैटेजिक पोजीशनिंग को हिला देगी?

भारत कई सालों से वेस्ट एशिया में अपनी एक अलग पहचान और पोजीशन बिल्ड करने की कोशिश कर रहा है — खासकर चाबहार पोर्ट, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC), और सेंट्रल एशिया कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स के ज़रिए। लेकिन अगर ईरान में पॉलिटिकल इंस्टेबिलिटी बढ़ती है, न्यूक्लियर साइट्स टारगेट होती हैं, और इजराइल का ये रैडिकल मिलिट्री स्ट्राइक चलता रहा — तो भारत के सारे प्लान्स पीछे चले जाएंगे।

यह सिर्फ पैसा खोने की बात नहीं है। चाबहार पोर्ट को भारत अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जुड़ने के एक वैकल्पिक रास्ते के रूप में देखता है, जहां पाकिस्तान का रोल जीरो हो। अगर चाबहार डैमेज हुआ, तो भारत फिर से उसी ट्रैप में फंस सकता है जहां उसे पाकिस्तान के रास्ते ही सब करना पड़े।

इसके अलावा, वेस्ट एशिया में भारत की इमेज हमेशा बैलेंस्ड रही है — ईरान, इजराइल और गल्फ कंट्रीज़ तीनों के साथ रिलेशन बैलेंस करना। लेकिन अगर ये वॉर ज्यादा लंबा खिंचता है तो भारत पर प्रेशर पड़ेगा कि वो किसके साथ खड़ा हो। और यहां से भारत की “मल्टी-अलाइनमेंट” पॉलिसी को भी झटका लग सकता है।

कुल मिलाकर, ये सिर्फ इजराइल-ईरान की वॉर नहीं है — इसका डायरेक्ट इंपैक्ट भारत की फॉरेन पॉलिसी, इकोनॉमिक स्ट्रैटेजी और रिजनल विज़न पर पड़ने वाला है।

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