- गुजरात में एयर इंडिया का भयानक हादसा – क्या बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पर अब भरोसा किया जा सकता है?
आज जो खबर सामने आई है, उसने ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया है। गुजरात में एयर इंडिया की एक इंटरनेशनल फ्लाइट जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गई। और यह कोई छोटी फ्लाइट नहीं थी, बल्कि बोइंग का ड्रीमलाइनर 787 था — जो दुनिया के सबसे एडवांस और सुरक्षित माने जाने वाले प्लेन्स में गिना जाता है।
टेकऑफ के बाद अचानक हादसा, कोई समझ नहीं पा रहा क्या हुआ
फ्लाइट का रूट अहमदाबाद से लंदन था। फ्लाइट ने नॉर्मल तरीके से टेकऑफ किया, लेकिन कुछ ही दूरी पर अचानक क्रैश हो गई। इतने एक्सपीरियंस्ड पायलट के साथ ऐसा कैसे हो गया, ये किसी को समझ नहीं आ रहा। पायलट के पास 8000 घंटे से ज्यादा का उड़ान अनुभव था।
इस प्लेन में कुल 242 लोग सवार थे।
- 168 इंडियन
- 53 ब्रिटिश नागरिक
- 1 कनाडियन
- 7 पुर्तगाली
ये सभी इंटरनेशनल पैसेंजर थे। हादसे के बाद एयर इंडिया ने अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल्स ब्लैक कर दिए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
फ्यूल की वजह से धमाका और भी खतरनाक
जब कोई इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ान भरती है, तो वो बहुत ज्यादा फ्यूल कैरी करती है – इतना फ्यूल कि वो सीधा लंदन तक पहुंच सके। और यही चीज इस क्रैश को और खतरनाक बना देती है। फ्यूल की वजह से धमाका बहुत ज्यादा डेडली हो गया।
वीडियो में जो विजुअल्स सामने आए हैं, वो डरावने हैं। कई लोग ये देखकर अपनी अपकमिंग फ्लाइट्स को लेकर घबरा गए हैं।
कहां हुआ ये क्रैश – हॉस्पिटल नहीं, डॉक्टर्स हॉस्टल की छत पर
ये हादसा एक हॉस्पिटल के पास नहीं, बल्कि डॉक्टर्स हॉस्टल की बिल्डिंग पर हुआ है। यानी जहां डॉक्टर्स रहते थे, वहां की छत पर प्लेन गिरा। अंदर उस वक्त करीब 15 डॉक्टर मौजूद थे — कुछ खाना खा रहे थे, कुछ रेस्ट कर रहे थे। वो सभी बुरी तरह घायल हो गए।
सबसे बड़ा सवाल – क्या बोइंग 787 की क्वालिटी वाकई खराब है?
ये पहला मौका है जब बोइंग 787 ड्रीमलाइनर इस तरह से क्रैश हुआ है। दुनिया भर में इस प्लेन की सेफ्टी और टेक्नोलॉजी को लेकर तारीफ होती रही है, लेकिन अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
और ये सवाल सिर्फ भारत में नहीं, पूरी दुनिया में उठ रहे हैं। क्योंकि अगर देखा जाए, तो हाल ही में दक्षिण कोरिया (South Korea) में भी जेजू एयर की फ्लाइट 2216 क्रैश हुई थी — जिसमें 94 लोगों की मौत हो गई थी।
जॉन बार्नेट की चेतावनी अब सच लगने लगी है
बोइंग के खिलाफ सबसे बड़ा नाम सामने आता है — जॉन बार्नेट का। ये बोइंग में 30 साल तक क्वालिटी मैनेजर रहे। 2019 में उन्होंने बीबीसी को इंटरव्यू देकर बताया था कि बोइंग में जो पार्ट्स लगाए जा रहे हैं, वो सब-स्टैंडर्ड हैं। कई बार खराब क्वालिटी के कंपोनेंट्स जानबूझकर इस्तेमाल किए गए।
उनके मुताबिक:
- प्रोडक्शन का प्रेशर इतना था कि टेक्नीशियन को मजबूर किया गया कि खराब पार्ट्स भी लगाओ
- बोइंग 787 में लगाए गए ऑक्सीजन सिस्टम फेल हो सकते हैं
- इमरजेंसी के समय पूरी फ्लाइट खतरे में पड़ सकती है
इन खुलासों के बाद जॉन बार्नेट को काफी परेशान किया गया। और फिर कुछ ही समय बाद उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई।
क्या ये हादसा सिर्फ एक एक्सीडेंट था? या कुछ और?
अब सवाल ये है कि क्या गुजरात का यह हादसा कोई टेक्निकल फॉल्ट था, या इसके पीछे कुछ sabotage या साजिश हो सकती है?
जब तक ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। लेकिन दुनिया भर में इस हादसे को लेकर कई तरह की थ्योरीज आ चुकी हैं — sabotage, engine failure, fuel leak, bird hit… लेकिन कुछ भी कन्फर्म नहीं है।
भारत में कब हुआ था आखिरी ऐसा बड़ा प्लेन क्रैश?
2010 में भारत में एक और बड़ा एयर क्रैश हुआ था, जिसमें 158 लोगों की मौत हुई थी। उस घटना को अभी भी लोग भूले नहीं हैं। अगर इस बार की casualty 160 के पार जाती है, तो ये 25 सालों में सबसे बड़ा हादसा बन जाएगा।
बोइंग पर लगातार बढ़ती निगेटिव न्यूज़
पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि बोइंग का नाम लगातार खबरों में रहा है —
- प्लेन स्किट हो रहे हैं
- अचानक इंजन फेल हो रहा है
- टर्बुलेंस के केस बढ़ते जा रहे हैं
हर बार सब कुछ “जांच” के नाम पर क्लोज कर दिया जाता है।
क्या भारत को अपने खुद के एयरक्राफ्ट बनाने चाहिए?
आज ये बहस फिर से तेज हो गई है — क्या भारत को अपनी खुद की एयरप्लेन मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं करनी चाहिए?
चीन ने C919 नाम से खुद का कमर्शियल जेट बना लिया है। वो अब अमेरिका या यूरोप पर निर्भर नहीं रहना चाहता।
भारत को भी अब “Make in India” की दिशा में गंभीरता से सोचना होगा — सिर्फ मोबाइल या कार नहीं, अब हमें एविएशन सेक्टर में आत्मनिर्भरता चाहिए।
क्या आगे भी ऐसे हादसे होते रहेंगे?
देखिए, जब तक कोई कंपनी प्रॉफिट के लिए क्वालिटी से समझौता करती रहेगी, ऐसे हादसे होते रहेंगे। और जब तक हमारे पास कोई भारतीय विकल्प नहीं होगा, हम इन्हीं कंपनियों पर निर्भर रहेंगे।