क्या पाकिस्तान बना रहा है अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइल?
हाल ही में कुछ अमेरिकी रिपोर्ट्स और जियोपॉलिटिक्स से जुड़ी प्रतिष्ठित मैगज़ीन “Foreign Affairs” में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है — ऐसी मिसाइलें जो सीधे अमेरिका तक पहुंच सकती हैं। ये एक बड़ा और गंभीर दावा है।
क्यों बना रहा है पाकिस्तान ऐसी मिसाइल?
यूएस इंटेलिजेंस एजेंसियों के इनपुट के अनुसार, पाकिस्तान ने अब यह निश्चय कर लिया है कि उसे अमेरिका जैसे देशों को रोकने के लिए लॉन्ग रेंज वेपन्स चाहिए। इस कथित विकास में चीन की इनडायरेक्ट मदद का भी ज़िक्र किया गया है। रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान अब ऐसी कैपेबिलिटी हासिल करने की कोशिश में है जिससे वो अमेरिका के मेनलैंड को भी टारगेट कर सके — हम यहां सिर्फ गुआम या हवाई की बात नहीं कर रहे।
क्यों है अमेरिका को डर?
पाकिस्तान का दावा है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम भारत के खिलाफ है, लेकिन अमेरिकी एजेंसियों को शक है कि इसका मकसद सिर्फ भारत नहीं, बल्कि भविष्य में अमेरिका को भी संभावित रूप से डराना है — ताकि अगर यूएस कभी पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लेने की सोचे, जैसे उसने ईरान या अफगानिस्तान के खिलाफ लिया, तो पाकिस्तान के पास भी एक जवाबी ताकत हो।
क्या है लॉन्ग टर्म गेम?
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के नीति-निर्माता इस आशंका के साथ चल रहे हैं कि भविष्य में अमेरिका और भारत की दोस्ती और मजबूत होगी। ऐसे में अगर कभी भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव हुआ, तो अमेरिका भारत के पक्ष में सैन्य हस्तक्षेप न कर दे — जैसा वो इज़राइल के लिए करता है। पाकिस्तान की कोशिश है कि अमेरिका को भी एक प्रकार की चेतावनी मिले — “अगर भारत का समर्थन किया, तो हमारे पास आपको भी टारगेट करने की क्षमता होगी।”
तकनीकी हकीकत क्या है?
अब बात करते हैं तकनीकी स्तर पर:
पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी की मिसाइल — शाहीन-2 — लगभग 2,500 किमी की रेंज रखती है। इससे इज़राइल भी कवर नहीं होता, अमेरिका तो बहुत दूर की बात है। अमेरिका को टारगेट करने के लिए पाकिस्तान को कम से कम 12,000 से 13,000 किमी रेंज की मिसाइल चाहिए। भारत की अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 8,000 किमी तक मानी जाती है, मगर वो भी अमेरिका तक नहीं पहुंचती।
ICBM तकनीक हासिल करने के लिए पाकिस्तान को एक लंबा सफर तय करना होगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसे हकीकत बनने में अभी 10 से 15 साल का समय लग सकता है।
अमेरिका का दृष्टिकोण
अमेरिका की एक स्पष्ट नीति है — कोई भी देश जो उसके मेनलैंड तक मिसाइल पहुंचा सकता है, वो उसका स्थायी मित्र नहीं हो सकता। और अगर पाकिस्तान ऐसी मिसाइल बना लेता है, तो अमेरिका उसे एक न्यूक्लियर एडवर्सरी मान सकता है। हालांकि फ्रांस और यूके जैसे देशों के पास भी ऐसी क्षमताएं हैं, पर वे NATO के सदस्य हैं और उनके साथ अमेरिका के रिश्ते अलग हैं।
यह विषय सिर्फ पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता का नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स और पावर बैलेंस का है। ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान वाकई इस दिशा में इतनी तेज़ी से बढ़ेगा कि 2035 तक अमेरिका जैसी महाशक्ति तक पहुंचने वाली मिसाइल तैयार कर सके। या फिर यह भी एक कूटनीतिक ब्लफ़ है?