बांग्लादेश में हिंदू मंदिर पर बवाल: भारत ने जताई कड़ी नाराज़गी
ढाका में स्थित एक प्राचीन दुर्गा मंदिर को अचानक से तोड़े जाने की घटना ने न सिर्फ वहां की हिंदू कम्युनिटी को हिलाकर रख दिया, बल्कि भारत सरकार को भी इस पर कड़ा रुख अपनाने को मजबूर कर दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा इस एक्ट को अवैध लैंड यूज़ बताकर सही ठहराने की कोशिश की गई, लेकिन भारत ने इसे धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अन्याय माना है। यह घटना दोनों देशों के रिश्तों में तनाव की ओर संकेत करती है और इंटरनेशनल मीडिया में भी इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
ढाका में दुर्गा मंदिर विध्वंस पर भारत की सख्त आपत्ति: बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर गंभीर सवाल
हाल ही में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक दुर्गा मंदिर को गिराए जाने की खबर ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को नई चुनौती दे दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताई है और बांग्लादेश की सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कट्टरपंथियों के दबाव में यह मंदिर गिराने की अनुमति दी।
क्या हुआ ढाका में?
ढाका के खिलकट इलाके में एक छोटा सा दुर्गा मंदिर स्थित था। बांग्लादेश में पहले से ही हिंदू समुदाय लगातार कमज़ोर स्थिति में है, उनकी संख्या घटकर 8% से भी कम हो चुकी है। अब खबर यह आई कि कुछ कट्टरपंथी लोगों ने इस मंदिर के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया। इसके तुरंत बाद बांग्लादेश की सरकार ने यह दावा किया कि यह मंदिर गैरकानूनी जमीन पर बना है और इसके बाद बिना पर्याप्त नोटिस दिए, मंदिर पर बुलडोजर चलवा दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रक्रिया में मंदिर की मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचा और कई धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
भारत का रिएक्शन और रणनीतिक जवाब
भारत सरकार ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बांग्लादेश सरकार अगर चाहती तो इस घटना को रोक सकती थी। भारत ने हाल ही में बांग्लादेश को मिलने वाली कुछ व्यापारिक रियायतों में कटौती की है और यह भी संकेत दिया गया है कि 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि (Ganga Water Treaty) का नवीनीकरण 2026 में शायद न किया जाए।
यह समझना ज़रूरी है कि इस संधि के तहत बांग्लादेश को भारत से 50% गंगा जल मिलता है, जो एक उदार निर्णय था। लेकिन अब जब बांग्लादेश पाकिस्तान और चीन के साथ एक नया सामरिक समूह बनाने की कोशिश कर रहा है, तो भारत की रणनीतिक धैर्यता खत्म होती दिख रही है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति लगातार खराब
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा में है। वहाँ न सिर्फ उनकी संख्या घट रही है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से भी उन्हें कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। मंदिरों पर हमले, जबरन धर्मांतरण, संपत्ति हड़पने जैसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं। इंटरनेशनल मीडिया ने भी इन मामलों को उठाया है, मगर बांग्लादेश की सरकार की प्रतिक्रिया अक्सर निष्क्रिय रही है।
भारत के लिए नई विदेश नीति की आवश्यकता
यह स्पष्ट हो चुका है कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों की समीक्षा करनी होगी। उदारता की नीति अब शायद काम न आए। जैसा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “Not working with India has a cost.” अब वक्त आ गया है कि बांग्लादेश जैसे देशों को यह महसूस कराया जाए कि भारत के साथ खराब रिश्ते रखने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं।
भारत को अब जापान, वियतनाम जैसे देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी और मज़बूत करनी होगी और एक ऐसे विदेश नीति मॉडल की ओर बढ़ना होगा जो अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता हो।
परिणाम क्या हो सकते है
ढाका में दुर्गा मंदिर के गिराए जाने की घटना सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं है, यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक टेस्ट केस बन गई है। क्या बांग्लादेश इसपर माफी मांगेगा? क्या मंदिर फिर से बनेगा? फिलहाल इसकी कोई उम्मीद नहीं दिख रही। लेकिन एक बात तो तय है — भारत अब खामोश नहीं बैठेगा।