भारत और रूस की तेल दोस्ती: भारत को मिल रहा सस्ता तेल, रूस को भरोसेमंद ग्राहक
भारत बना रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक
एक नई रिपोर्ट आई है जिसने पूरी दुनिया की तेल मंडी को हिला दिया। रिपोर्ट कहती है कि 2025 में रूस से जो कच्चा तेल समुद्र के रास्ते बाहर गया, उसका 80% सिर्फ भारत ने खरीदा। यह कोई छोटी बात नहीं है। इसका मतलब है कि रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदने वाला अब भारत है।
इस खरीदारी में दो बड़ी भारतीय कंपनियां सबसे आगे हैं – Reliance Industries और Nayara Energy। अकेले इन दोनों ने ही 45% तेल मंगवाया। यानी अब रूस का सबसे बड़ा ग्राहक भारत बन गया है।
Reliance और रूस की 10 साल की बड़ी डील
भारत और रूस की दोस्ती और मजबूत तब हुई जब Reliance ने रूस की सरकारी कंपनी Rosneft के साथ 10 साल की डील कर ली।
ये डील 2024 के आखिरी में हुई थी। इसके तहत हर दिन 5.5 लाख बैरल तेल भारत आएगा। हर साल की कीमत करीब 13 अरब डॉलर होगी। यह डील अगले 10 साल तक चलेगी।
इससे भारत को सस्ता और लगातार तेल मिलता रहेगा और रूस को भरोसेमंद ग्राहक। सबसे बड़ी बात – भारत को अब पश्चिमी देशों के दबाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।
Nayara Energy की रूस से पुरानी पहचान
बहुत से लोग नहीं जानते कि Nayara Energy की जड़ें रूस से जुड़ी हैं। 2017 में Rosneft ने Essar Oil नाम की कंपनी खरीदी थी, जो बाद में Nayara Energy बनी। आज भी Rosneft के पास Nayara में 49% से ज्यादा हिस्सेदारी है।
2022 में Nayara जो भी तेल खरीदती थी, उसमें 27% तेल रूस से आता था। लेकिन 2025 तक यह बढ़कर 72% हो गया। मतलब भारत में रूसी तेल की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। और इससे भारत को नुकसान नहीं, बल्कि सीधा फायदा हो रहा है।
मध्य पूर्व में खतरा, लेकिन भारत तैयार
भारत रूस की तरफ क्यों झुका? इसका बड़ा कारण है – मध्य पूर्व की अशांति। हाल ही में ईरान ने कहा कि अगर अमेरिका ने उस पर हमला किया, तो वह होरमुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा।
यह वही रास्ता है जहां से दुनिया का 20% तेल गुजरता है। अगर यह बंद हुआ, तो पेट्रोल बहुत महंगा हो जाएगा। लेकिन भारत घबराया नहीं, क्योंकि भारत ने पहले से ही रूस से सस्ते तेल का रास्ता बना लिया था।
भारत की स्मार्ट तेल नीति
भारत सिर्फ सस्ता तेल नहीं खरीद रहा। वह अपने भविष्य की भी तैयारी कर रहा है:
- देश में रणनीतिक तेल भंडार भरे जा रहे हैं।
- रिफाइनिंग क्षमता को बढ़ाया जा रहा है।
- सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन जैसे नए साधनों में निवेश हो रहा है।
अब भारत किसी के दबाव में नहीं है। न अमेरिका से डर, न ओपेक देशों की चाल का असर। भारत सिर्फ अपने देश के फायदे के लिए फैसले ले रहा है।
रूस और भारत का रक्षा और तकनीक में साथ
तेल ही नहीं, भारत और रूस की दोस्ती रक्षा और तकनीक में भी गहरी है:
- भारत ने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा सिस्टम खरीदा है।
- ब्रह्मोस मिसाइल, जो दोनों देशों की संयुक्त बनाई हुई है, उसका भी भारत में खूब उपयोग हो रहा है।
- SU-57 जैसे नए लड़ाकू विमानों को मिलकर बनाने की बात भी चल रही है।
अंतरिक्ष, साइबर और व्यापार में भी साथ
भारत और रूस:
- परमाणु ऊर्जा,
- साइबर सुरक्षा,
- अंतरिक्ष मिशन,
में भी मिलकर काम कर रहे हैं।
हाल ही में एक नया समुद्री रास्ता चालू किया गया – चेन्नई से व्लादिवोस्तोक तक। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और आसान होगा।
नतीजा: भारत-रूस दोस्ती का नया दौर
जब बाकी दुनिया रूस से दूरी बना रही थी, भारत ने उसके साथ खड़े रहकर यह दिखाया कि वह अपने हितों की रक्षा करना जानता है।
आज भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा है, तकनीक मिल रही है, सुरक्षा मजबूत हो रही है। रूस को एक भरोसेमंद दोस्त मिला है।
यह सब दिखाता है कि भारत अब सिर्फ एक तेल खरीदार नहीं, बल्कि एक समझदार और मजबूत खिलाड़ी बन चुका है, जो अपने देश का फायदा सबसे पहले देखता है।